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शाही सांई भंडारे में पांचवीं बार बना विश्व कीर्तिमान
इंदौर। सांई भक्तों के नाम आज एक और नया विश्व कीर्तिमान दर्ज हो गया जब गत 19 अक्टूबर से ए.बी. रोड स्थित सांई शक्ति स्थल, बिच्छूदास के बगीचे पर शाही सांई भंडारा आयोजन समिति के तत्वावधान में चल रहे 100 घंटे के अखंड भंडारे में 3 लाख 21 हजार भक्तों ने भोजन प्रसादी प्राप्त की और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई ने जैसे ही इस कीर्तिमान की घोषणा की, भोजनशाला और बगीचे में मौजूद हजारों भक्तों ने सांई बाबा के जयघोष से आसमान गुंजा दिया।
इसके साथ ही लगातार पांच बार विश्व कीर्तिमान बनाने का सौभाग्य भी सांई भंडारा समिति के नाम दर्ज हो गया है। यह विश्व कीर्तिमान अपना ही पिछले वर्ष का 2 लाख 67 हजार भक्तों की मौजूदगी का कीर्तिमान तोड़कर बनाया गया है। इस अवसर पर नागपुर से पधारे महामंडलेश्वर स्वामी माधवदास महाराज, गोराकुंड रामद्वारा के संत अमृतराम रामस्नेही, राज्यमंत्री योगेंद्र महंत सहित अनेक विशिष्टजन भी उपस्थित थे।
गत 19 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे से सांई बाबा के समाधि शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में यह भंडारा प्रारंभ हुआ था। 100 घंटे की अवधि आज शाम 6 बजे जैसे ही पूरी हुई, गोल्डन बुक के अधिकारियों ने मंच पर पहुंचकर भंडारे में कुल 3 लाख 21 हजार भक्तों की उपस्थिति की पुष्टि करते हुए भंडारे के संस्थापक सांईराम कसेरा, अध्यक्ष सुरेश यादव, मीडिया प्रभारी हरि अग्रवाल, संयोजक गोपाल मित्तल, नीलेश भूतड़ा एवं महामंत्री गोविंद शर्मा को लगातार पांचवी बार नए विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र भेंट किया। इस अवसर पर गोल्डन बुक के एशिया हेड डॉ. विश्नोई ने कहा कि यह पहला मौका है जब मध्यप्रदेश की किसी संस्था को लगातार 5वीं बार यह गौरव हासिल हुआ है।
गोल्डन बुक ने भंडारा स्थल पर एक दर्जन वीडियो कैमरे एवं सेटेलाईट पद्धति से इस भंडारे की पल-पल की रिकार्डिंग के बाद यह प्रमाण पत्र सौंपा है। समापन अवसर पर भंडारे में सहयोग देने वाले सभी कार्यकर्ताओं एवं दानदाताओं का सम्मान भी किया गया।
कार्यकर्ताओं की खुशी का आलम यह था कि हर कोई खुशी से नाचने-झूमने लगा। सांई बाबा की महाआरती का दृश्य भी अनुपम और अलौकिक था। समापन बेला में सांई बाबा के जिस अखंड धूने से अग्नि प्रज्जवलित की गई थी, उसी अग्नि को पुनः कृतज्ञता सहित धूने में समर्पित कर दिया गया।
मीडिया प्रभारी हरि अग्रवाल ने बताया कि 22 अक्टूबर को रात 10 बजे तक 2 लाख 80 हजार भक्तों की संख्या दर्ज की गई थी। कल रात और आज दिनभर में लगभग 41 हजार भक्तांे ने यहां प्रसाद ग्रहण किया इस तरह शाम 6 बजे तक कुल 3 लाख 21 हजार भक्तों की संख्या गोल्डन बुक ने दर्ज की है।
गत वर्ष 2 लाख 67 हजार भक्तों की संख्या के आधार पर विश्व कीर्तिमान बना था। इस हिसाब से आयोजन समिति का नया कीर्तिमान कल रात को ही बन गया था। आज भी भंडारे में प्रत्येक चार घंटे में मैन्यू बदलने की व्यवस्था लागू रही। सुबह सभी तरह की रोटी के अलावा सब्जी, मिठाई, नमकीन, खिचड़ी परोसे गए, उसके बाद मिठाई और सब्जी बदल दिए गए। यह क्रम शाम 6 बजे तक चलता रहा।
कैसे बना इतना भोजन – आयोजन समिति के संस्थापक सांईराम कसेरा, अध्यक्ष सुरेश यादव एवं मीडिया प्रभारी हरि अग्रवाल ने बताया कि इस बार भंडारे में 60 रसोईये 10 गैस भट्टी, 6 लकड़ी की भट्टी, 4 डीजल भट्टी और 12 तंदूर पर यह भोजन प्रसादी तैयार की गई। मराठी, राजस्थानी, दक्षिण भारतीय, मालवी, गुजराती एवं पंजाबी व्यंजनों का समावेश भी रहा। भक्तों को ज्वार, मक्का, गेहूं और बाजरे की रोटियां, सब्जी, नुक्ती, हलवा, मक्खन बड़े, बालूशाही, बेसन की चक्की, जलेबी, इमरती, नमकीन, दाल-चांवल जैसे व्यंजन हर 4 घंटे में बदल-बदल कर परोसे गए। परोसगारी के लिए 80 सांई भक्त बारी-बारी से सेवाएं देते रहे। 30 महिलाओं ने बारी-बारी से 100 घंटों में तवा रोटी बनाई।
इंदौर, महू एवं महाराष्ट्र सहित विभिन्न जिलों के सांई भक्त भी यहां अपनी सेवाएं देने आए। जूठी प्लेटें धोने से लेकर परोसगारी एवं बाहर प्रतीक्षा कर रहे भक्तों को भजन सुनाने सहित काम इन सेवकों ने किए। भक्तों के लिए आर.ओ. मशीन के शुद्ध जल, वाटरप्रूफ शामियाने एवं प्रतीक्षालय में बैठक की व्यवस्था भी रखी गई। सेवा करने वालों का आलम यह था कि महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ के अलावा प्रदेश के अनेक जिलों के भक्त भी बसों, कारों, ट्रैक्टर ट्रालियों से आते रहे। अंततः आज पांचवीं बार यह विश्व कीर्तिमान सांई भक्तों के नाम दर्ज हो ही गया।